गर्भवस्था के दौरान लें पोषण भरी खुराक, इस बड़ी समस्या से बचेगा होने वाला बच्चा
सेहतराग टीम
हाल ही में भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों में हुए एक अंतरराष्ट्रीय शोध में बताया गया कि अगर महिला के गर्भधारण करने के तीन माह पहले से उसे उचित मात्रा में पोषाहार देकर होने वाले बच्चे के कुपोषण और ठिगनेपन को दूर किया जा सकता है। हालांकि देश में कई सुधारों के बावजूद पैदा होने वाले बच्चों में कुपोषण और ठिगनापन आज भी बड़ी समस्या है। पांच साल के बच्चों की तीन में दो मौतों का कारण कुपोषण होता है।
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प्लॉस जर्नल में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ। इस अध्ययन के अनुसार एक जैसे स्वास्थ्य एवं सामाजिक-आर्थिक हैसियत वाली महिलाओं के तीन समूह बनाए गए, पहले समूह में महिलाओं को गर्भधारण के तीन महीने पहले से लिपिड-आधारित माइक्रोन्यूट्रिएंट सप्लीमेंट प्रदान किए गए। दूसरे समूह में गर्भावस्था की पहली तिमाही में सप्लीमेंट दिए गए और तीसरे समूह की महिलाओं को कोई भी सप्लीमेंट प्रदान नहीं किया गया। सभी शिशुओं के जन्म के बाद उनके माप लिए गए।
अध्ययन में पाया गया कि पहले समूह की महिलाओं के शिशुओं की लंबाई तीसरे समूह की महिलाओं के शिशुओं की लंबाई से औसतन 5.3 मिमी ज्यादा रही। इसी तरह पहले समूह की महिलाओं के शिशुओं का वजन तीसरे समूह की महिलाओं के शिशुओं के वजन से 89 ग्राम अधिक रहा। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि गर्भ धारण करने के तीन महीने पहले से महिला को माइक्रोन्यूट्रिएंट सप्लीमेंट देने से शिशुओं में ठिगनेपन में 44 फीसदी की और मोटापे में 24 फीसदी की कमी देखी गई।
भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों में अब भी 38 फीसदी बच्चे ठिगनेपन का शिकार होते हैं। इस क्षेत्र में बड़ी जनसंख्या होने के चलते विश्व के कुल ठिगनेपन के मामले में 40 फीसदी इस क्षेत्र के हैं। इसमें सबसे बड़ा योगदान भारत का है।
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बीते दिनों आई इंडिया स्टेट-लेवल डिजीज बर्डन इनिशियेटिव के तहत हुए एक अध्ययन के अनुसार, कुपोषण अब भी सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए बड़ा जोखिम बना हुआ है। कुपोषण के संकेतकों में भी जन्म के समय शिशु का कम वजन बच्चों की मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में शामिल है।
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